पेड़, जो सारा जीवन हमें देते हैं।
धूल के कण उड़ रहे थे धूप और गर्मी भरे सफर में,
इसलिए हमने आँखों पर काला चश्मा लगा लिया
थोड़ी देर में उस राह पर पहुँचे जहाँ घने पेड़ थे।
उस राह में तीखी धूप को पेड़ों ने रोक लिया,
और हम भी मजबूर हो गए वो काला चश्मा निकालकर
प्रकृति द्वारा प्रस्तुत सुंदरता को निहारने के लिए.
और उन पेड़ों द्वारा मिले सुकून और ठंडक को महसूस करने के लिए
जहाँ हमने अब तक के सबसे अच्छे सेल्फी लिये।
और फिर याद आयी वो कहानियाँ , जो बचपन में सुनी थी,
परंतु उन पर विश्वास नहीं होता था, कि कैसे
भरी दुपहरी में एक पथिक पेड़ के नीचे ठंडक पाकर
गहरी नींद में सो जाता था
अब समझ आया कि पेड़, उस पथिक को कितने प्रेम से
अपनी पत्तियों से पंखा झलकर सुलाते होंगे।
आज महसूस हुआ की ये वो ठंडक थी , कि
जिसके आगे एयर कंडीशनर की कृत्रिम और महँगी ठंडक
शरीर को बीमार करने का एक साधन मात्र है।
मैने मन ही मन निश्चय किया कि
पेड़ों से मिले इस प्रेम का उपकार मैं जरूर चुकाऊंगा
घर के आसपास पौधे लगाकर उन्हें भी पेड़ बनाऊंगा
यदि आपने भी पेड़ पौधों के प्रेम को अनुभव किया हो कभी
तो अपने आने वाली पीढ़ियों की भलाई के लिए पेड़ लगाएं अभी
आप चाहें विश्वास करें या नहीं किन्तु ये सत्य है,
कि पेड़ पौधों में भी भावनाएँ होती हैं,
और "अतिथि देवो भव" और परमार्थ के संस्कार,
जो हम मनुष्य भूल चुके हैं,
पेड़ अपना सारा जीवन, उसे निभाते हैं
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