Monday, 1 October 2018

जीना है तो जल बचाओ...


जीवित रहने के लिए हमें ही बचाना होंगे पानी और पेड़

सविनय निवेदन,
इंदौर शहर में लगातार कुछ वर्षों से औसत से कम वर्षा हो रही है. और अंधाधुंध हो रही बोरिंग से धरती का जल स्तर गिरता जा रहा है. इंदौर में औसत वर्षा ३५ से ४० इंच तक आँकी जाती है. परन्तु अंधाधुंध बोरिंग और पेड़ों की कटाई देखते हुए लगता है , कि ८० इंच बारिश भी अब इंदौर की जनता के लिए पर्याप्त नहीं होगी.
जहाँ भी पानी की समस्या शुरू होती है, वहां घर घर में प्राइवेट बोरिंग किये जाते हैं. और फिर पानी को इस तरह बर्बाद किया जाता है, जैसे हमारे पास अथाह पेय जल सम्पदा है.
भवन निर्माण के समय लोग छत का ड्रेन सिस्टम भी गटर से जोड़ देते हैं, जिससे स्वच्छ जल भी गंदे पानी के साथ मिलकर गटर में बह जाता है.
गावों का तेजी से शहरीकरण किया जा रहा है, और नई-नई टाउनशिप बनाकर भवन बनाने के लिए वहाँ स्थित पेड़ों की निर्दयता से कटाई की जा रही है, जैसे हम खुद ही ऑक्सीजन पैदा करने में सक्षम हैं, और ये पेड़ बस धरती पर बोझ हैं. पेड़ों की कटाई और पेट्रोल चलित गाड़ियों की अधिकता से वातावरण में प्रदुषण बढ़ता जा रहा है, और नागरिक विभिन्न प्रकार की रोगों से ग्रसित हो रहे हैं.
जल्दी ही कुछ नहीं किया गया, तो भयावह परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. 
अतः सभी भारतीय जन से निवेदन है, कि कल की भयावह स्थिति का सामना करने के लिए हमें अभी से कदम उठाने होंगे.
कृपया, छत के पानी को संगृहीत कर पुनः धरती में संचय करने की व्यवस्था कीजिये. ज़्यादा से ज़्यादा पेड़-पौधे लगाइये. पेड़ों की कटाई को रोकिये. हरे भरे पेड़ों की कटाई के बजाय उनके स्थानांतरण में सहायता दीजिये.


भारतीय

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