यदि आप भी प्रकृति प्रेमी हैं तो उत्तर दें......
परिवार के साथ बड़े लम्बे समय के बाद कहीं बाहर जाने का मौका था. सभी ने साथ मिलकर हेरिटेज ट्रेन में बैठकर पाताल पानी जाने का प्लान बनाया था.
प्रकृति प्रेमी होने के नाते, मुझे भी उत्सुकता थी, कि कुछ समय कॉन्क्रीट के जंगलों से दूर प्रकृति का सान्निध्य मिलेगा.
परन्तु वहां जाकर देखा, तो मन ग्लानि से भर उठा.
गर्मी की शुरुआत में ही पेड़ पौधे और पानी लगभग सुख चूका था. बचे हुए पानी में और बाहर, जहाँ तहाँ प्लास्टिक के गिलास और जंकफूड के पैकेट बिखरे पड़े थे, और वहां घूम रहे मूक बन्दर वह मनुष्यों द्वारा दूषित जल पीने को मजबूर थे. मन चाहा कि उसी समय वहाँ का कचरा समेटने लगूँ, परन्तु न तो वहां गार्बेज बैग था न ही कोई डस्टबिन, जहाँ वह कचरा डाला जा सकता था.
वापस ऊपर आकर देखा तो गन्ने की चरखी लगी है और वैसे ही गिलास में गन्ने का रस बेचा जा रहा है.
निश्चय किया कि अगले सप्ताह फिर गार्बेज बैग और दस्ताने लेकर आना है, और यहाँ कम से कम पानी में से वो गंदे गिलास निकालकर मूक प्राणियों पर हम जैसे लोगों द्वारा हो रहे अत्याचार को रोकना है. परन्तु मेरा जाना तो केवल एक दिन, तय हुआ है, और गन्दगी फ़ैलाने वाले सैकड़ों लोग वहां रोज़ जा रहे हैं.
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