क्या सूरत में हुई भयंकर दुर्घटना का कारण व्यावहारिक ज्ञान का अभाव नहीं है?
आज सूरत में अत्यंत ह्रदय विदारक दुर्घटना घटी, जिसमे आग लगने पर बच्चों ने जान बचाने के लिए चौथी मंज़िल से छलांग लगाई, कई बच्चे घायल हुए, और कुछ के माता पिता, जो बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्हें वहां पढ़ने भेज रहे थे, उनका स्वयं का भविष्य अंधकारमय हो गया.
आत्मा को झकझोर देने वाले इस दुःख को वे सहन कर सकें, इतनी शक्ति भगवान उन्हें दे.
दुखद है कि दुर्घटना के समय उनके गुरु वहां उपस्थित होते हुए भी विकट परिस्थितियों में बच्चों के साहस को सही दिशा प्रदान न कर सके.
क्योंकि चौथी मंज़िल से कूदने का साहस तो उन्होंने दिखाया. परन्तु बाकि बच्चे दम घुटने से, उचित निर्देशन के अभाव में वे अपने प्राण गवा बैठे.
यदि उनके टीचर वहां उपलब्ध पर्दों और कपड़ों को आपस में बाँध कर रस्सी बना लेते, तो इतने परिवारों को अपने बच्चों को न खोना पड़ता.
इसी प्रकार एक अंतर्राष्ट्रीय होटल में हुए हादसे में जलकर और घुटन में मरने वालों में भारतीय सर्वाधिक थे, जापानियों और अन्य विदेशियों को ये मूलभूत व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त था, कि अचानक आग लगने पर गीले कपड़े से खुद को ढककर लेट जाने से प्राण बचाये जा सकते हैं, क्योंकि आग और धुआं ऊपर की ओर उठता है.
अत्यंत दयनीय परिस्थिति है, कि भारतीय पढ़ तो रहे हैं लेकिन ज्ञान प्राप्त नहीं कर पा रहे. फिरंगियों के जाने के बाद भी उनके द्वारा स्थापित की गयी शिक्षा पद्धति के ये भयानक दुष्परिणाम हैं, कि हम केवल किताबी ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं, व्यावहारिक ज्ञान नहीं.
क्योंकि वर्तमान शिक्षा पद्धति सक्षम नहीं है अतः हम लोगों को ही अपने बच्चों को सचेत करना होगा, जिससे आपात स्थिति में वे अपने आप को बचा सकें और अन्य की सहायता कर सकें.
अपने बच्चों को व्यावहारिक ज्ञान और जानकारी देकर भविष्य में सूरत जैसी दुर्घटना को पुनः घटित होने से रोका जा सकता है.
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